गजल
सुवा क्यान हर्दी छै यति मनोमानी मुटुको माया छाडी।
कैकी भया कि छैइ आजभोलि सिरानी मुटुको माया छाडी।।
मुलाइ एक्लै अलपत्र पाडी बाइगै धेकि कुकुरले हाड छाड्याजन।
गयाकी छैइ निकै खाउला भनिकन राजधानी मुटुको माया छाडी।।
क्यान अन्तै भाग्दि छैइ जिउ जोबन सुम्पिकन लायाको पिरती हो।
तेरा लागि राख्या हु सुवा हतियारमा जिन्दगानी मुटुको माया छाडी।।
क्या दोषी धेक्यो भगवान कठै मेरो बिराना देश गया पाल्या ताल्या।
आज घर आउत जोई छैन भयो मनमा आगजानी मुटुको माया छाडी।।
खप्तड छेडेदह गाँउपािलका ७